भले ही प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को देश के सामने कृषि कानूनों को रद्द करने का एलान कर दिया हो पर आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद यह कानून पहले ही मृत थे। दरअसल इस साल 12 जनवरी को आगामी आदेश तक इनके तीनों कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। शीर्ष अदालत ने किसान संगठनों और सरकार का पक्ष जानने के बाद एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था जिसे अपना निर्णय देना था। इस समिति ने 19 मार्च को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी लेकिन इस मामले में आगे कोई सुनवाई नहीं हुई चूंकि सरकार की तरफ से भी इस रोक को हटाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुआ इसलिए इन कानूनों पर रोक जारी रही।
अगर तकनीकी रूप से देखें तो यह कृषि कानून कोर्ट के आदेश के बाद से मृत ही हैं। कुछ कानून के जानकार यह भी कह रहे हैं कि क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से इस पर रोक ही थी तो सरकार को कृषि कानून के रद्द करने का बहाना भी मिल गया।